Amazing Queen of Uttarakhand: क्या आप जानते हैं कि एक ऐसी महारानी भी थीं जो अपनी खूबसूरती और शाही ठाट-बाट के लिए करोड़ों रुपये खर्च करती थीं? महारानी सीता देवी, जिन्हें शाही जगत की फैशन आइकन भी कहा जाता है, ने अपनी सुंदरता को संवारने और विलासिता को जीने में इतनी दौलत बहाई कि सुनकर आपको यकीन नहीं होगा।
एक ऐसी महारानी, जिन्होंने न सिर्फ अपनी शाही पहचान से दुनिया को मोहित किया, बल्कि अपने अलौकिक फैशन सेंस से इतालवी डिजाइनरों को भी प्रभावित कर दिया। आइए, जानते हैं उस महारानी की कहानी, जिन्होंने सजने-संवरने में 83 करोड़ रुपये खर्च कर डाले!
महारानी सीता देवी:
महिलाओं को अक्सर सजने-संवरने का शौक होता है, और आज भी वे इस शौक को पूरा करने में खूब खर्च करती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं, पुराने समय में भी एक महारानी थीं, जो अपनी खूबसूरती को संवारने में खूब पैसे खर्च करती थीं? ये महारानी थीं सीता देवी, जिन्हें राजकुमारी करम के नाम से भी जाना जाता था।
महज 13 साल की उम्र में हुई शादी
1915 में उत्तराखंड के काशीपुर में राजा उदय सिंह के घर जन्मी महारानी सीता देवी ने महज 13 साल की उम्र में कपूरथला के राजकुमार कर्मजीत सिंह से शादी कर ली थी। उनकी शुरुआती जिंदगी शाही परंपराओं में बंधी थी, पर उनका अनोखा लाइफस्टाइल लोगों के बीच चर्चित हो गया।
फैशन सेंस और विलासिता की पहचान
सीता देवी का शानदार फैशन सेंस और लाइफस्टाइल पूरे शाही समाज में चर्चा का विषय था। उनकी अलमारी में हजारों साड़ियां थीं, जिनमें से हर एक उनके जूतों से मैच करती थी।
उनके अनोखे फैशन सेंस ने कई लोगों को आकर्षित किया, जिसमें शीर्ष इतालवी फैशन हाउस शिआपरेली भी शामिल था। उनकी साड़ियों के प्रति प्रेम ने उनके डिजाइन को प्रभावित किया।
बड़ौदा के महाराजा से मुलाकात
मद्रास हॉर्स रेस के दौरान महारानी की मुलाकात बड़ौदा के महाराजा प्रतापसिंहराव गायकवाड़ से हुई, जो दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों में से एक थे। इस मुलाकात ने उनकी जिंदगी में नया अध्याय जोड़ा और उन्हें और अधिक शाही जीवनशैली अपनाने का मौका मिला।
दूसरे विश्व युद्ध में महत्वपूर्ण योगदान
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों के लिए धन जुटाने में महारानी सीता देवी ने अहम भूमिका निभाई। उनके इस योगदान से उनके देश के प्रति समर्पण का पता चलता है, जो उनकी विलासिता से भी अधिक मूल्यवान था।
महंगी शॉपिंग और गहनों का संग्रह
महारानी सीता देवी और महाराजा ने अमेरिका की यात्रा के दौरान 83 करोड़ रुपये की शॉपिंग की, जिससे उनकी विलासिता की झलक मिलती है।
उनके गहनों का संग्रह असाधारण था और उनमें कई बहुमूल्य रत्न थे, जैसे कि सात-धागे वाला मोती का हार और ‘स्टार ऑफ द साउथ’ और ‘इंग्लिश ड्रेसडेन’ हीरे जड़े हार।
संग्रह की नीलामी और शाही विरासत
मोनाको में उनके संग्रह के कई टुकड़ों की नीलामी की गई, परंतु सात-धागे वाला मोती का हार बड़ौदा रॉयल ट्रेजरी में संरक्षित रहा। यह उनकी शाही जीवनशैली और विलासिता के प्रति उनके अद्वितीय स्वाद का प्रतीक है। उनकी कहानी परिवर्तन, भव्यता, और ऐतिहासिक महत्व की है, जो उनके जीवन के हर पहलू में झलकती है।
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